आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर को झेल रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। दुनिया भर में अभी तक करीब ढाई लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 11 हजार से अधिक लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। इस बीच कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि भारत में अभी इस वायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा साढे़ तीन सौ के आसपास ही पहुंचा है जिसमें सात लोगों की जान गई है, जबकि 23 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।
भारत में माना जा रहा है कि अभी हम कोरोना की समस्या के दूसरे चरण में हैं और आगे आने वाले दो-तीन सप्ताह इसमें महत्वपूर्ण हो सकते हैं। अभी तक कोरोना संक्रमण के जो मामले सामने आए हैं, उनमें से करीब 41 मामले विदेशियों के हैं और बाकी मामले भारतीयों से संबंधित हैं, लेकिन ये सभी मामले वे हैं जिनका संबंध सीधे तौर से विदेशों से आने वाले लोगों के साथ है, यानी विदेशी पर्यटक या विदेशों से आने वाले भारतीय और उनके साथ संपर्क में आए उनके रिश्तेदार। एक रिपोर्ट के अनुसार इटली और ईरान में इस संक्रमण के फैलने में चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) यानी बेल्ट रोड परियोजना का बड़ा हाथ है। चीन से इतनी दूर होने के बावजूद इन दोनों मुल्कों में कोरोना वायरस के फैलने की वजह ओबीओआर ही बताई जा रही है
आइसीएमआर द्वारा सामान्य जांच, जिसमें 826 मामलों की जांच की गई, यह सिद्ध हुआ कि अभी तक कोरोना संक्रमण सामुदायिक संपर्क से नहीं आया है, जो बड़े संतोष का विषय है, लेकिन इस आशंका से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि भविष्य में यदि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति सामाजिक संपर्क में आते हैं तो यह संक्रमण फैल भी सकता है। चीन, इटली, ईरान आदि देशों के अनुभव से सीख मिल रही है, क्योंकि वहां यह संक्रमण सामुदायिक रूप ले चुका है।
चीन से शुरू हुआ यह वायरस : नोवल कोरोना के नाम से जाना जाने वाले इस वायरस का फैलाव चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ। चीनी अधिकारियों को इस वायरस के संक्रमण की जानकारी दिसंबर 2019 में मिली थी। इस वायरस का तकनीकी नाम सार्स-कोव-2 रखा गया, जिसके कारण कोविड-19 नाम की बीमारी होती है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह वायरस चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से निकला, लेकिन इस संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि वुहान में इस संस्थान का होना और वहीं पर वायरस का फैलना महज एक संयोग है, परंतु इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि चीन द्वारा वायरस यानी बायोलॉजिकल हथियारों का निर्माण और इस वायरस का दुर्घटनावश फैलना दोनों में कुछ संबंध जरूर है। कई अमेरिकी विशेषज्ञों ने इस आशंका की तरफ संकेत भी किया है।
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि चीनी लोगों के अजीबो-गरीब खानपान के व्यवहार के कारण यह वायरस मानव शरीर में पहुंचा। कुछ वैज्ञानिकों का यह मानना है कि यह वायरस जानवरों से मानव शरीर में स्थानांतरित हुआ है। यह वायरस ‘सार्स’ परिवार का है और इस बात की ज्यादा संभावना है कि यह एक चमगादड़ से या किसी ऐसे जानवर से, जिसे चमगादड़ ने संक्रमित किया हो, से आया है। चाहे यह वायरस प्राकृतिक रूप से किसी जानवर से आया है या फिर किसी प्रयोगशाला से, इस बात पर लगभग मतैक्य है कि यह वायरस चीन से ही आया है। शायद यही कारण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस वायरस को चीनी वायरस कह रहे हैं। यह पहली बार नहीं है कि चीन से वायरस आया हो, इससे पूर्व में भी चीन दुनिया में फैली विभिन्न बीमारियों के वायरस का जन्मदाता रहा है